प्रेम विवाह//आप खुद अपना जीवनसाथी चुनते हैं, जिससे खुशी और संतुष्टि की संभावना बढ़ती है।रिश्ता टूटने पर भावनात्मक चोट लगने की संभावना अधिक होती है,महादेव और मां पार्वती के विवाह को दुनिया का पहला प्रेम विवाह माना जाता है,शिव की पहली पत्नी सती ने खुद को अग्नि में जला लिया था, जिसके बाद शिव अत्यंत दुखी हो गए और उन्होंने अपना मोह त्याग दिया

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आत्म-निर्णय:

आप खुद अपना जीवनसाथी चुनते हैं, जिससे खुशी और संतुष्टि की संभावना बढ़ती है। दोनों साथी एक-दूसरे की भावनाओं और विचारों को बेहतर समझते हैं, जिससे आपसी तालमेल अच्छा होता है।
जब आप किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करते हैं जिसे आप पसंद करते हैं, तो जीवन भर खुशी और संतुष्टि मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रेम विवाह के नुकसानसामाजिक विरोध:

समाज, परिवार, या समुदाय से विरोध या स्वीकृति न मिलने की संभावना रहती है।शादी के बाद परिवारों के बीच मतभेद हो सकते हैं, खासकर यदि एक-दूसरे की संस्कृतियाँ और विचार अलग हों।

रिश्ता टूटने का जोखिम:

रिश्ता टूटने पर भावनात्मक चोट लगने की संभावना अधिक होती है, खासकर जब यह भावनात्मक रूप से बहुत गहरा हो।
क्या करें
परिवार को शामिल करें: यदि संभव हो तो अपने माता-पिता को अपने रिश्ते के बारे में बताएं और उनकी सहमति लेने का प्रयास करें।
सोच-समझकर फैसला लें

शादी से पहले एक-दूसरे को अच्छी तरह जान लें और यह सुनिश्चित कर लें कि आपका रिश्ता केवल शारीरिक आकर्षण से कहीं बढ़कर है।
सच्चाई और प्रतिबद्धता

अगर आप प्रेम विवाह करते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि आपका साथी सच्चा है और जीवन भर साथ निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
शिव-पार्वती:

महादेव और मां पार्वती के विवाह को दुनिया का पहला प्रेम विवाह माना जाता है और इनकी पूजा भी प्रेम विवाह की सफलता के लिए की जाती है
शिव को दुखी होने के कारण:
सती की मृत्यु: शिव की पहली पत्नी सती ने खुद को अग्नि में जला लिया था, जिसके बाद शिव अत्यंत दुखी हो गए और उन्होंने अपना मोह त्याग दिया।
पावर्ती के लिए विरक्ति: पार्वती, जो सती का पुनर्जन्म थीं, को शिव का प्रेम प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करनी पड़ी, क्योंकि शिव पहले ही मोह भंग कर चुके थे।
तारकासुर से ब्रह्मांड की रक्षा: तारकासुर नामक राक्षस को हराने के लिए एक पुत्र की आवश्यकता थी, और उसके लिए शिव और पार्वती के मिलन से एक पुत्र का जन्म होना आवश्यक था।
अर्धनारीश्वर का स्वरूप: तारकासुर से लड़ाई के बाद, शिव और पार्वती ने अर्धनारीश्वर का स्वरूप धारण किया, जो पुरुष और स्त्री ऊर्जा के मिलन को दर्शाता है। यह शिव के तांडव से उत्पन्न दुख का अंत नहीं था, बल्कि उनकी प्रेम कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
शिव का दुख समाप्त होना:
पार्वती की भक्ति: पार्वती की भक्ति और प्रेम से शिव का हृदय पिघला और उन्होंने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
शिव और शक्ति का मिलन: शिव (चेतना) और शक्ति (ऊर्जा) के मिलन को दर्शाने वाले इस विवाह ने शिव के दुख का अंत किया और उन्हें पूर्णता प्रदान की।

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