किसी भी निजी संपत्ति का अनिवार्य अधिग्रहण करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। उचित प्रक्रिया के बिना अधिग्रहण असंवैधानिक माना जाएगा-सुप्रीम कोर्ट

Spread the love

भारत के सुप्रीम कोर्ट के भूमि से संबंधित कई महत्वपूर्ण आदेश हैं, जैसे कि निजी संपत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना,

पैतृक संपत्ति में बेटियों को बेटों के समान अधिकार देना, और अवैध कब्जाधारियों को हटाने के लिए मालिक को अदालत जाए बिना भी कानूनी सहारा लेने की अनुमति देना। ये निर्णय भूमि मालिकों और सरकार के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के भूमि संबंधी महत्वपूर्ण आदेश

निजी संपत्ति का अनिवार्य अधिग्रहण:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी निजी संपत्ति का अनिवार्य अधिग्रहण करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। उचित प्रक्रिया के बिना अधिग्रहण असंवैधानिक माना जाएगा।

पैतृक संपत्ति में बेटियों का अधिकार:

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 के बाद बेटियां भी पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर हकदार हैं। कोई भी मालिक अकेले संपत्ति नहीं बेच सकता है जब तक कि सभी वारिसों की सहमति न हो।
अवैध कब्जाधारियों को हटाना:

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि आप अपनी संपत्ति के वैध मालिक हैं और आपके पास उसका टाइटल है, तो आप बिना अदालत जाए भी कब्जाधारियों को हटा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको पहले कब्जाधारियों को हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा:

सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए आदेश दिए हैं कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत भूमि मालिकों को अधिग्रहण के समय बाजार मूल्य के अनुसार उचित मुआवजा मिले।

सरकारी भूमि पर अधिकार:

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य को केवल प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत का उपयोग करके नागरिकों की संपत्ति को हथियाने की अनुमति नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *