“सत्य” की “भूख” सभी को है
लेकिन…
जब “परोसा” जाता है तो बहुत कम लोगो को इसका “स्वाद” पसंद आता है !!
जब “सोच” में “मोच” आती है तब हर रिश्ते में “खरोंच”आती है,
“सोच कर बोलना”और “बोल कर सोचना” मात्र दो “शब्दों” का आगे पीछे इस्तेमाल से ही “परिणाम” बदल जाते है।
गलत व्यक्ति कितना भी मीठा बोले एक दिन आपके लिए “बीमारी” बन जाएगा,
अच्छा व्यक्ति कितना भी कड़वा लगे एक दिन”औषधि” बन कर काम आएगा।
कभी भी उन बातों से और “परिस्थिति” से निराश मत होना जो हमारे हाथो में नही है।
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पांवों में यदि जान हो तो “मंजिल” हम से दूर नहीं,
आंखों में यदि पहचान हो तो इंसान हम से दूर नहीं,
दिल में यदि स्थान हो तो अपने हम से दूर नहीं…
भावना में यदि जान हो तो “भगवान” हम से दूर नहीं।
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भगवत्कृपा अनन्त और अपार है…
वह सभी प्राणियों पर, सभी परिस्थितियों में, सभी समय बरसती रहती है,
जो उसपर विश्वास करता है वह उस सर्वथा समभाव से सबको प्राप्त होनेवाली कृपाका अनुभव कर सकता है,
जिसका मन अविश्वास के तथा संदेह के अन्धकार से ढका है, उसे उस परम रहस्यमयी अहैतु की कृपा के दर्शन नहीं होते !!!!
*सुबह का राम राम जी*
















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