प्रातः वंदन,,,,
स्वयं का ददॅ महसूस होना
जीवित होने का प्रमाण है लेकिन
औरों का ददॅ महसूस करना
इंसान होने का प्रमाण है
अपने जीवन मे ऐसे बनो कि
लोग आपके आने का
इंतजार करें जाने का नही
लोगो को फरक पड़ना तब शुरू
हो जाता है जब आपको
किसीभी बातसे फर्क नहीं पड़ता
बेशक गलती भूल जाओं
मगर सबक हमेंशा याद रखो
चाबी से खुला ताला बार बार
काम मे आता है और
हथौड़े से खुलने पर दुबारा
काम का नही रहता इसी तरह
संबन्धों के ताले को
क्रोध के हथौड़े से नहीं
बल्कि प्रेम की चाबी से खोलें
जगन्नाथजी, बलरामजी और सुभृद्राजी की रथ यात्रा आपके घर में ढेर सारी ख़ुशियाँ और ढेर सारे प्यार आपके जीवन में आये ऐसी शुभकामनाएँ
जय जगन्नाथ
ॐ
राधे राधे
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