||”#परेशानमनत्राहितजीवन”||_
■परेशान मन को शांति देने वाला सरल उपाय:
●१. ब्रह्ममुहूर्त जागरण:
प्रातः ब्रह्ममुहूर्त (लगभग ४ से ५:३० बजे) में उठिए। यह समय आत्मशुद्धि और ईश्वरस्मरण हेतु सर्वोत्तम है।
●२. बड़ों का आशीर्वाद:
घर के बड़े-बुजुर्गों को सादर प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यह विनय का प्रथम अभ्यास है।
●३. पवित्रता और आसन:
स्नान आदि से पवित्र होकर, शुद्ध स्थान में सफेद ऊन के आसन पर बैठिए। नेत्र मूंदकर कुछ क्षण गहरी श्वास लेते हुए मन को स्थिर कीजिए।
●४. श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ:
“श्रीमद्भगवद्गीता का महात्म्य” (जैसे पद्मपुराण से) पढ़ें, फिर प्रतिदिन एक अध्याय का पाठ करें — भावार्थ सहित, ताकि उसका सार हृदय में उतरे।
●५. श्रीरामचरितमानस पाठ:
बालकाण्ड से प्रतिदिन कम-से-कम १ से ५ दोहे/चौपाइयाँ पढ़ें — श्रद्धा से। मानस का रस धीरे-धीरे जीवन में उतरने लगेगा।
●६. गौसेवा:
एक मोटी रोटी बनाकर उस पर शुद्ध घी और गुड़ लगाकर पास की किसी गाय को स्वयं प्रेमपूर्वक खिलाएं।
जब गाय खा रही हो, अपने हाथों को उसे चाटने दीजिए और उसकी पीठ पर स्नेह से हाथ फेरिए। इससे मन को अद्भुत शांति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
●७. राम नाम का जप:
इसके बाद अपने कर्म में लग जाएँ — “मन में राम, मुख में शांति, कर्म में समर्पण” की भावना रखिए।
●८. संयम और नम्रता:
जीवन में संयम, साधना, और नम्रता को अपनाइए। इन गुणों से आप संसार को बिना लड़े ही जीत लेंगे।
हियँ निर्गुन नयनन्हि सगुन, रसना राम सुनाम।
मनहुँ पुरट संपुट लसत, तुलसी ललित ललाम॥
भावार्थः-
‘हृदय में निर्गुण ब्रह्म का ध्यान, नेत्रों के सामने सगुण स्वरूप की सुंदर झांकी, और, जीभ से सुंदर राम-नाम का जप करना। तुलसी कहते हैं, कि, यह ऐसा है, मानो, सोने की सुंदर डिबिया में मनोहर रत्न सुशोभित हो॥
सोह न राम पेम बिनु ग्यानू।
करनधार बिनु जिमि जलजानू॥
भावार्थः-
‘श्रीरामजी के प्रेम के बिना ज्ञान शोभा नहीं देता, जैसे कर्णधार के बिना जहाज़॥
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