दुर्गा अष्टमी जानें व्रत के नियम, लाभ, पूजा विधि और कथा
: July 3, 2025
आषाढ़ माह की दुर्गा अष्टमी 2025 में एक विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह तिथि शक्ति की उपासना, नारीत्व की आराधना और नकारात्मक ऊर्जा के नाश की प्रतीक मानी जाती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा की जाती है, जिसे महागौरी या महाशक्ति का रूप माना जाता है।
इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से न सिर्फ पापों का क्षय होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य भी बढ़ता है। आइए जानते हैं कि आषाढ़ दुर्गा अष्टमी 2025 में कब है, उसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन की पौराणिक कथा क्या है।
दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 जुलाई 2025, रात 10:00 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 3 जुलाई 2025, रात 11:30 बजे
अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त: 2 जुलाई 2025 की रात को 10 बजे से दुर्गा अष्टमी का शुभ मुहूर्त शुरू हो रही है जो 3 जुलाई 2025 की रात में 11:30 बजे तक रहेगा।
दुर्गा अष्टमी व्रत और पूजा विधि
प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र पर गंगाजल छिड़कें।
लाल वस्त्र पहनें और माता को लाल पुष्प, चावल, नारियल, रोली-अक्षत अर्पित करें।
दुर्गा सप्तशती, या अर्गला स्तोत्र या “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
अगर संभव हो तो कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराएं।
दिनभर व्रत रखें और शाम को आरती व हवन करें।
दुर्गा अष्टमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अष्टमी तिथि को ही देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। यह तिथि शक्ति की विजय और अधर्म के नाश का प्रतीक है। दुर्गा अष्टमी को देवी के आठवें स्वरूप की पूजा होती है, जिन्हें ‘महागौरी’ कहा जाता है। कथा के अनुसार, देवी ने कठोर तप कर शिवजी को प्रसन्न किया और उज्ज्वल स्वरूप प्राप्त किया, जिससे वह महागौरी कहलाईं। अष्टमी व्रत से व्यक्ति को जीवन में शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दुर्गा अष्टमी व्रत का महत्व
रोग और शोक का नाश होता है
नारी जाति को विशेष लाभ
जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं
देवी की कृपा से मनोवांछित फल प्राप्त होता है
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