जिस व्यक्ति के पूर्व जन्म के और इस जन्म के जैसे संस्कार होते हैं, उसे उसी स्थान पर जाना और वही कार्य करना अच्छा लगता है।शराबखाने में या जुआ घर में जाने पर शांति नहीं मिलती, बल्कि वहां तो शांति की भ्रांति है। इस भ्रांति से बचें।” “इसलिए अच्छे स्थानों पर जाएं, अच्छे काम करें, और सुख शांति आनंद से जिएं।”- “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।”

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14.9.2025
कोई मंदिर आदि पूजा स्थान दुकान मकान बाजार घर स्कूल कॉलेज पुस्तकालय वाचनालय यदि सब स्थान तो एक से होते हैं। अर्थात सब में जमीन मकान सब एक जैसा होता है। “फिर भी किसी स्थान पर जाने से आपको शांति मिलती है, और किसी स्थान पर जाने से आपको अच्छा नहीं लगता।”
“तो जिस स्थान पर जाना आपको अच्छा लगता हो, जहां आपका मन लगता हो, शांति मिलती हो, तो ऐसे स्थान पर जाना चाहिए।” “जहां जाने पर आपका मन नहीं लगता, कुछ उत्साह नहीं होता, प्रसन्नता नहीं होती, शांति नहीं मिलती, ऐसे स्थान पर नहीं जाना चाहिए।”
इसका कारण क्या हो सकता है? इसका कारण है, कि “जिस व्यक्ति के पूर्व जन्म के और इस जन्म के जैसे संस्कार होते हैं, उसे उसी स्थान पर जाना और वही कार्य करना अच्छा लगता है।”
इस दृष्टि से “अपने पूर्व जन्म के संस्कारों और वर्तमान जीवन के अब तक के संस्कारों के आधार पर अपने प्रिय स्थान का चुनाव करें। वहां जाएं, वहां बैठें, वहां अपनी रुचि के अनुकूल कार्य करें। इसी से आपको सुख शांति मिलेगी।”
कुछ लोग मेरी इस बात का उल्टा अर्थ भी निकाल सकते हैं, कि “हमें तो शराबखाने में जाने पर या जुआ घर में जाने पर शांति मिलती है।”
कृपया मेरी बात का ऐसा अर्थ न निकालें, क्योंकि मैं ऐसा नहीं कहना चाहता। “शराबखाने में या जुआ घर में जाने पर शांति नहीं मिलती, बल्कि वहां तो शांति की भ्रांति है। इस भ्रांति से बचें।” “इसलिए अच्छे स्थानों पर जाएं, अच्छे काम करें, और सुख शांति आनंद से जिएं।”
—– “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।”

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