जय माता दी//वेश्यालय की मिट्टी से क्यों बनाई जाती है माता की मूर्ति,जो महिलाएं पुरुषों की गलती की सजा भुगत रही है उसके उत्थान और सम्मान की प्रक्रिया के हिस्से का भी प्रतीक मालूम पड़ता है।

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वेश्यालय की मिट्टी से क्यों बनाई जाती है माता की मूर्ति ??

हमारे सभ्य समाज में वेश्या का नाम बिल्कुल भी अच्छा नहीं समझा जाता।
लेकिन सोचने वाली बात है कि आखिर नव रात्रि में माता की मूर्ति जो बनाई जाती है उसके लिए वेश्यालय की मिट्टी हीं क्यों लाई जाती है ?
आखिर क्यों माता की प्रतिमा वेश्यालय की मिट्टी से ही बनाई जाती है ?
कई फिल्मों में भी इसके बारे में बताया गया है।
हममें से ज्यादातर लोगों को उसके पीछे के कारण और मान्यता के बारे में पता नहीं है।

इसके पीछे की मान्यता : कुछ पारंपरिक मान्यताएं और शारदा तिलकम, महामंत्र महार्णव, मंत्रमहोदधि जैसे ग्रंथों में इस बात की पुष्टि की गई है। बांग्ला मान्यताओं की बात करें तो यहां के अनुसार गोमूत्र ,गोबर, लकड़ी, जूट के ढांचे, सिंदूर, धान के छिलके, पवित्र नदियों की मिट्टी, विशेष वनस्पतियां और जल के साथ निषिद्धो पाली के रज के समावेश से निर्मिति माता की मूर्ति का निर्माण सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
बता दें कि निषिद्धो पाली वेश्याओं के घर के आस-पास वाले इलाके को कहा जाता है।
कोलकाता स्थित कुमरटलु इलाके में देश भर की सबसे अधिक माता की मूर्ति का निर्माण किया जाता है।
और मिट्टी के लिए सोना गाछी की मिट्टी को उपयोग में लाया जाता है।
सोना गाछी इलाके के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे ये कोलकाता का सबसे बड़ा रेड लाइट इलाका है जो देह व्यापार का गढ़ है।
तंत्र शास्त्र में निषिद्धो पाली के रज के सूत्र को कामना और काम से जुड़ा हुआ माना गया है।

सामाजिक सुधार के सूत्र : माता की प्रतिमा के निर्माण में निषिद्धो पाली की मिट्टी का इस्तेमाल समाज में सुधार के सूत्र को भी संजोए हुए मालूम पड़ता है।
जो महिलाएं पुरुषों की गलती की सजा भुगत रही है उसके उत्थान और सम्मान की प्रक्रिया के हिस्से का भी प्रतीक मालूम पड़ता है।
प्राचीन विज्ञान यानी तंत्र, दैहिक सुख तांत्रिय उपासना के मुख्य उद्देश्यों में से एक है।
कामना के आधार की बात करें तो आध्यात्म के काम चक्र को कामना का आधार माना गया है।
यदि आपने काम के विकार को सुधार लिया जाए और अपनी ऊर्जा प्रबंधन को दुरुस्त कर ले तो भौतिक कामना को पूर्ति करने का मार्ग आसान होना तय है।

     *ॐ सत्य जय माता दी*

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