सनातन संस्कृति के पुरोधा हमेशा हर अच्छे व्यक्ति को एकजुट रहकर राक्षसों से पृथ्वी को मुक्त करने को कहा हैं।
आज के समय में मंदिर, मस्जिद , चर्च, गुरूद्वारा, बौद्ध स्तूप ,मजार और सारे आध्यात्मिक स्थान सिर्फ धन इकट्ठा करने की दुकान बनकर रह गया है।
अगर आपको परमात्मा से प्रेम है तो प्रार्थना से असीम ऊर्जा हर जगह आपको पता चलती है।
यह देह मिली हैं परमात्मा को पहचानो ।
परमात्मा सृष्टि की रचना से पहले जिस रूप में था इसी रूप में आज भी है और यहीं हैं जहां मैं इस शरीर के साथ हूं ।
ताकि हरपल परमात्मा को निहार पाओ ।
अंत समय में परमात्मा में ध्यान रहे।
जब शरीर से तादम्य छूट रहा हो तुझ आत्मा का ।
अंत मता सो गता।
जहां आशा तहां वासा।