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इंसान अपना वो चेहरा तो खूब सजाता है, जिस पर लोगों की नज़र होती है!
मगर आत्मा को सजाने की कोशिश कोई नहीं करता, जिस पर परमात्मा की नजर होती हैं!!*

aसबसे बड़ी ताकत इबादत है ……!!!!!!
यही जिंदगी की जरूरत और हिफाजत भी है …!!!!!

माना मुकद्दर का लिखा
कोई मिटा नहीं सकता
अपनी मर्ज़ी की खुशियां
कोई पा नहीं सकता*
पर इतना यकीं है
मुझे मेरे ” बाबाजी” पर
उनकी चौखट से
कोई खाली जा नहीं सकता.

प्रसन्नता वह औषधि है
जो हर मर्ज को
ठीक कर सकती है …
सबसे खास बात*l
कि वो मिलती भी*l
अपने ही अंदर है

 

किसी भी व्यक्ति को ज़्यादा समझने और सुधरने में मत लग जाना ज़्यादा कोशिश करोगे तो वह तुमसे नफ़रत करने लगेगा

समय के साथ शिक्षा का क्षय हो जाता है l अच्छी तरह जड़ से जमा हुआ वृक्ष भी धराशायी हो जाता है। जलाशय में रहा पानी भी समय के साथ कालान्तर में सूख जाता है, परन्तु “यज्ञ की अग्नि में समर्पित आहूति और दिया गया दान कभी नष्ट नहीं होता” बल्कि सदैव ही शाश्वत रहता है।काबिल लोगना तो किसी से दबते है.और ना ही किसी को दबाते हैजबाब देना उन्हें भीखूब आता है…..परकीचड़ में पत्थर कौन मारे,*lये सोचकर चुप रह जाते है.!!

अतीत में मिले किसी
कड़वे अनुभव को शेष
जीवन के लिए गाइडलाइन
मत बनाइए ।
पतझड़ के बाद हमेशा
बसंत आता है

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