◆ गीता पहली बार पढ़ने पर समझ नहीं आती।
◆ गीता दूसरी बार पढ़ने पर कुछ-कुछ समझ आती है।
◆ गीता तीसरी बार पढ़ने पर समझ आने लगती है।
◆ गीता चौथी बार पढ़ने पर पूरी समझ आने लगती है।
◆ गीता पांचवी बार पढने पर ज्ञान देने लगती है।
◆ गीता छठी बार पढ़ने पर कर्म के महत्व को समझाती है।
◆ गीता सातवीं बार पढ़ने पर घर के सारे क्लेश दूर कर देती है।
◆ गीता आठवीं बार पढ़ने पर सारे विघ्न दूर कर देती है।
◆ गीता नौवीं बार पढ़ने पर पूरे घर को समृद्ध बना देती है।
◆ गीता दसवीं बार पढ़ने पर आपको पूर्ण ज्ञानी बना देती है।
◆ गीता 11वीं बार पढ़ने पर आपको बहुत बड़ा व्यवसायी बना देती है।
◆ गीता 12वीं बार पढने पर आपको कृष्ण के समान चतुर बना देती है।
◆ गीता 13वीं बार पढ़ने पर आपको एक कुशल वक्ता बना देती है।
◆ गीता 14वीं बार पढ़ने पर आपको ब्राह्मण शूद्र और वैश्य और क्षत्रिय से ऊपर उठा देती है।
◆ गीता 15 वीं बार पढ़नें पर आपको कृष्ण बना देती है।
◆ गीता 16 वीं बार पढ़ने पर संसार रूपी महाभारत में युद्ध करना सिखा देती है।
◆ गीता 17 वीं बार पढ़ें पर मोक्ष की और प्रवृत कर देती है।
◆ गीता 18 वीं बार पढ़ने पर जन्म मरण के बंधन से मुक्त कर देती है।
गीता के जितने अध्याय हैं उतनी बार भागवत गीता को पढ़िए,तब जाकर आप कृष्ण की तरह एक योद्धा भी बनेंगे,एक रणनीतिकार भी बनेंगे और एक कुशल वक्ता भी बनेंगे.
*ज़िन्दगी में किताबें और इंसान दोनों को पढ़ना सीखिए क्योंकि किताबों से ज्ञान और इंसान से अनुभव मिलता है मधुर सम्बन्ध ज्ञान एवं पैसे से भी बड़ा होता है क्योकि जब ज्ञान और पैसा दोनोंविफल हो जाते हैं तब मधुर सम्बन्ध से ही स्थिति सम्भाली जा सकती है जिंदगी के हाथ नहीं होते मगर कभी कभी ये ऐसा थप्पड़ मारती है जो पूरी उम्र याद रहता है इसलिए किसी का अच्छा ना कर सको तो बुरा भी मत करना. सन्तोष राधे राधे तो बोलना पड़ेगा सुप्रभात मित्रो.!🌺 आपका दिन मंगलमय हो 🌺*