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शुभ बसंतपंचमी( सरस्वती पूजा )

ज्ञान, कला और संगीत की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के आराधना और प्रकृति के उत्सव का पावन पर्व बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

शरद ऋतु की विदाई के साथ माघ शुक्ल पंचमी जहां एक ओर ऋतुराज वसंत के आगमन का सूचक है वहीं दूसरी ओर संगीत व विद्या की देवी वीणावादिनी माँ सरस्वती के अवतरण का दिन भी है।
बसन्त पंचमी के पर्व से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सबको नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है।
महाकवि कालिदास ने ऋतुसंहार नामक काव्य में इसे सर्वप्रिये चारुतर वसंते कहकर अलंकृत किया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ऋतूनां कुसुमाकराः अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूं, कहकर वसंत को अपना स्वरुप बताया है।
माँ सरस्वती शांति का प्रतीक हैं! देवी के चार हाथ मन, बुद्धि, सतर्कता और अहंकार का प्रतीक हैं।

वैसे तो सभी को परंतु विशेष रूप से विद्यार्थियों को सरस्वती माँ का पूजन अवश्य करना चाहिए क्योकि ज्ञान तो उन्हीं की कृपा से प्राप्त होगा पढ़ाई में सफलता प्राप्त करने के लिए सरस्वती माँ का आशीर्वाद परम आवश्यक है।

सुख एवं समृद्धि का बसंत आप सभी के जीवन में सदैव बना रहे। विद्या, बुद्धि और विवेक की देवी मां सरस्वती आप सभी के जीवन को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करें।
जय मां शारदा

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