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शिक्षक एक शिल्पकार होता है। शिल्पकार जिस प्रकार पथ्थरको तराशकर सुंदर मूर्ति बनाता है और लोग उस मूर्तिकी पूजा करने लगते है और शिल्पकारको भूल जाते है। उसकी परवाह किये बगैर शिल्पकार नयी मूर्ति बनानेमें व्यस्त हो जाता है।
ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी अपने विद्यार्थियोंको आकार देता है और इस लायक बनाता है कि वह समाजमें प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर सकें। यश प्राप्त करनेकी इच्छाके बगैर वह भी नये विद्यार्थियोंको आकार देनेमें जुट जाता है।
सभी भाई – बहनोंको शिक्षक दिनकी हार्दिक शुभकामनाएं।

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