Waheguruji
शंका का कोई,इलाज नहीं..!
चरित्र का कोई,प्रमाण नहीं..!
मौन से अच्छा कोई,साधन नहीं.. शब्द से तीखा कोई,बाण नहीं.
मेरा मन राता गुण रवै मन भावै सोई ॥
गुर की पउड़ी साच की साचा सुख होई ॥
परमात्मा के प्यार में रंगा हुआ मेरा मन
ज्यों-ज्यों परमात्मा के गुण चेते करता है
त्यों-त्यों मेरे मन में
वह परमात्मा ही प्यारा लगता जाता है।
परमात्मा के गुण गाना मानो एक सीढ़ी है
जो गुरु ने दी है
और इस सीढ़ी के माध्यम से
सदा-स्थिर रहने वाले
परमात्मा तक पहुँचा जा सकता है,
इस सीढ़ी पर चढ़ने की इनायत से मेरे अंदर
सदा-स्थिर रहने वाला आनंद बन रहा है।: “इरादे इतने”
कमजोर नहीं होने चाहिए कि,
लोगों की बातों में आकर
टूट जाए..
ੴ सतगुर प्रसाद
नामै ही ते सभ किछ होआ
बिन सतगुर नाम न जापै ॥
गुर का सबद महा रस मीठा
बिन चाखे साद न जापै ॥
हे भाई! परमात्मा के नाम से सब कुछ
(सारा रौशन आत्मिक जीवन) होता है,
पर गुरु की शरण पड़े बिना
नाम की कद्र नहीं पड़ती।
गुरु का शब्द बड़े रस वाला है मीठा है,
जब तक इसे चखा ना जाए,
तब तक स्वाद का पता नहीं चल सकता।
:ज़िन्दगी को देखने का
सबका
अपना अपना नजरिया होता है
कुछ लोग भावना में ही
दिल की बात कह देते है ,
और,,
कुछ लोग गीता पर हाथ
रख कर भी सच नहीं बोलते
बहुत से लोग अपने दोष और कमियाँ छुपाने के लिए दूसरों की कमियाँ गिनाने लगते हैं!!!
परन्तु याद रहे!!!
दूसरों के दोष या कमियाँ गिनाने से आप पवित्र या निर्दोष नहीं हो सकते!!!