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फूल खिलने के लिए किसी की अनुमति नही माँगता, पक्षी उडने के लिए किसी से प्रशिक्षण नही लेते , नदी बहने के लिए किसी से मार्गदर्शन नही चाहती ।और उनको स्वभाविक होने में कोई अपराध बोध नही होता ।
*ऊँगली पकड के हम को चलना और स्वयं से नाराज रहना सिर्फ मनुष्य जाति का ही लक्षण क्युँ है ।* “ईश्वर से मेरी एक ही प्रार्थना है..

“महंगी घड़ी” सबको दे देना !
*लेकिन…..*
*”मुश्किल घड़ी” किसी को न देना.”*

“सभी *”अनुभवों का स्वागत”* कीजिए, पता नहीं *कौनसा अनुभव आपकी “जिंदगी बदल” वो कागज की दौलत ही क्या

जो पानी से गल जाये और
आग से जल जाये
दौलत तो दुआओं की होती हैं
न पानी से गलती है
न आग से जलती हैं…
आनंद लूट ले बन्दे,
प्रभु की बन्दगी का ।
ना जाने कब छूट जाये,
साथ जिन्दगी का

*एक चिंतन.
श्री कृष्ण कहते हैं….
*जो जीवन दिया है उसे भी भर के जियो ,
और ”
स्वयं भी खुश रहो और लोगों को भी खुशियां बांटो….!!!

नजरों में सम्मान और बोलने में मर्यादा ,
” किसी ”
भी रिश्ते की सबसे मजबूत डोर होती है….
जलेबी सिर्फ मीठी ही नहीं होती एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है ,” कि “खुद कितना भी उलझे रहो पर दूसरों को हमेशा मिठास दो…

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