मन में “मैल” रखकर बाहर से “अच्छे” होने का दिखावा करना
“कीचड़”के ऊपर रंग लगाने वाली बात है
ज़िन्दगी को समझना बहुत मुशिकल है!!!
कोई सपनों की खातिर अपनों से दूर हो जाता है!!!
कोई अपनों की खातिर सपनों से दूर हो जाता है!! गलत दिशा में बढ़ रही भीड़ का हिस्सा होने से अच्छा है, सही दिशा में अकेले ही चलें… अर्थात हमें जो चीज सही लगें वहीं करें, किसी के कहने पर अपना निर्णय कभी न बदलें
त्याग वही करना चाहिए, जहाँ उसकी कद्र और उपयोगिता हो,क्योकि,
दोपहर को दिया जलाने से अंधकार नही बल्कि दीये का वजूद कम होता है।
यकीन मानो वो सब लौटेगा जो आप किसी और को दे रहे हो।
दिखावे की कोशिश,
न करो…!
जब दिखने के,
काबिल हो जाओगे
तो ख़ुद नज़र आ जाओगे
किसी की अच्छाई का इतना फायदा मत उठाओ कि वह बुरा बनने पर मजबूर हो जाए, बुरा हमेशा वही बनता है जो अच्छा बन चुका हो और अंदर से टूट चुका हो।*
गुण ना हो तो रूप व्यर्थ है.
विनम्रता ना हो तो विद्या व्यर्थ है…
उपयोग ना आए तो धन व्यर्थ है…
साहस ना हो तो हथियार व्यर्थ है…
भूख ना हो तो भोजन व्यर्थ है…
होश ना हो तो जोश व्यर्थ है…
और परोपकार नहीं करने वालों का जीवन व्यर्थ है