Spread the love

राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस

  

हमारे दिल की धड़कन जब तक चलती रहती है, हम जीवित रहते हैं लेकिन बहुत से लोग हर साल हृदय रोग के कारण अपनी जान गवां देते हैं। ऐसे में हृदय प्रत्यारोपण उन लोगों के लिए आस की किरण का कार्य करती है जो हृदय रोगों से पीड़ित हो हैं और जिनका हृदय बिल्कुल कार्य नहीं कर रहा हो। लोगों में जन जागरूकता फैलाने के साथ ही हृदय प्रत्यारोपण के क्षेत्र में हो रही तकनीकी प्रगति का विश्लेषण करने के उद्देश्य से हर साल 3 अगस्त को भारत में ‘हृदय प्रत्यारोपण दिवस’ मनाया जाता है।

भारत में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण 3 अगस्त 1994 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में प्रोफेसर पनंगीपल्ली वेणुगोपाल के नेतृत्व में कम से कम 20 सर्जनों की एक टीम द्वारा किया गया था। इस पूरे ऑपरेशन में लगभग 59 मिनट लगे थे और इस सफल ऑपरेशन के उपरांत, मरीज कम से कम 15 साल और जीवित रहा था।

आंकड़ों की माने तो पूरी दुनिया में हर साल लगभग 3500 हृदय प्रत्यारोपण होते हैं, वहीं लगभग 50,000 व्यक्ति सालाना हृदय गति रुकने जैसी समस्या का सामना करते हैं, लेकिन भारत में हर साल लगभग 10 से 15 हृदय प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018 में भारत में केवल 241 दिल दान किए गए थे। डॉक्टरों का कहना है कि भारत में लगभग दो लाख लोगों को हर साल हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन बहुत कम दिल सही समय पर पहुंच पाते हैं। जिसका कारण धार्मिक मान्यता एवं जागरूकता की कमी को माना जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *