भूतभावन महादेव
प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें भगवान शिव से सीखनी चाहिए।दुनिया वाले भी प्रेम करते हैं पर केवल उस वस्तु को जो उनके उपयोग की हो।
अनुपयोगी अथवा बिना कारण किसी से यदि कोई प्रेम करता है तो वो भगवान शिव ही हैं इसलिए वो भूतभावन भी कहलाते हैं।
भूत-प्रेतों से प्रेम करना अर्थात समाज में उन लोगों से भी प्रेम करना जो समाज द्वारा तिरस्कृत हों,समाज की नजरों में उपेक्षित हों।
भोलेनाथ जी का अपनत्व उनके लिए भी है,जो समाज की दृष्टि में अनुपयोगी बन चुके हों।
भूतभावन भगवान शिव से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि समाज का चाहे कोई भी वर्ग अथवा चाहे कोई भी व्यक्ति क्यों न हो यदि आप उन्हें ज्यादा कुछ न दे सको तो कोई बात नहीं, कम से कम थोड़ा सा अपनत्व अवश्य दे दिया करो।
प्राणीमात्र के प्रति प्रेम,सम्मान अथवा अपनत्व की भावना ही शिवत्व की अवधारणा है।
🪷 शुभ श्रावण मास 🪷
जय श्री राधे कृष्ण