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निश्च्छल प्रेम प्रभु कब किस पे अपनी कृपा दृष्टी डाल दें ये कोई नहीं जानता इसलिए हमेशा प्रभुको याद रखना चाहिए चाहे वो सुख हो य़ा दुःख हो ।

एक गाँव में एक सास और बहू रहती थे। सास भगवान् की भक्ति में हमेशा लीन रहती थी पर बहू को इन सब बातों से कोई फर्क नही पड़ता था। वो बहुत ही भोली और सीधी-साधी थी। उसकी सास उसे बहुत समझाती थी कि बहू थोड़ा तो प्रभु का भजन कर लिया कर पर वह तर्क-पे-तर्क करने लगती। तो फिर सास ने उसे समझाना ही छोड़ दिया।

एक दिन सास ने सत्संग का आयोजन करने का निर्णय किया फिर उसने सोचा अगर बहू घर पर रही तो कुछ भी अच्छे से नहीं हो पायेगा। तो उसने एक तरकीब निकाली उसने बहू को बुलाया और एक काला कपड़ा दे कर कहा कि जाओ उसे नदी पर धो लो, और तब तक धोती रहना कि जब तक ये पूरा सफेद न हो जाये । साथ में उसे खाने के लिए एक सुखी मोटी रोटी दे दी ।

बहू तो सीधी-साधी थी उसे क्या पता कि काले कपड़े को कितना भी  धो लो वह सफेद नहीं होगा, वह कपड़ा लेकर नदी पर चली गई । उसे धोते-धोते दोपहर हो गई। अब उसे बहुत ही जोर से भुख लगी थी। वहीं से थोडी दूरी पर एक गणेशजी का मंदिर था। वहाँ उन्हें देखा {गणेशजी को} देशी घी मिला के गुड़ का प्रसाद चढ़ाया गया था।

बहू ने देखा कि उसकी सास ने तो उसे सुखी रोटी ही दी है। अब वह उसे कैसे खाये तो उसने गणेशजी को लगे भोग का गुड़ उठाया और खाने लगी, ज्यो ही उसने वो भोग उठाया गणेशजी नाक पर ऊंगली रखकर मुह फेर कर बैठ गए ।

जब सुबह पंडितजी आये और गणेशजी को भोग लगाने लगे तो देखते हैं कि प्रभु तो मुहँ फेर कर बैठे हैं । अब तो ये बात राजा तक पहुँच गई । धीरे-धीरे पूरे राज्य मे यह खबर जँगल की आग की तरह फैल गई कि गणेश जी नाक पर ऊंगली रखकर और मुहँ फेर कर बैठ गये हैं।

राजा भी बहुत चिंतित हो गए कि अगर प्रभु ने भोग नहीं लिया तो पूरा राज्य नष्ट हो जायेगा। ये कैसी विपदा आन पड़ी है ,अब इससे हमें कौन बचायेगा । उन्होंने पूरे राज्य में घोषणा करवा दी कि जो भी गणेश जी को मना लेगा उनकी नाक पर से ऊंगली हटवा देगा उसे वह अपना आधा राज्य दे देंगे ।

सब लोग पूजा पाठ करने लगे पर गणेश जैसे-के-तैसे बैठे रहे । जब यह खबर बहू ने सुनी तो वह गुस्से से उस मंदिर में आयी और साथ में एक ड़ंडा भी लेकर आयी। सब लोग उसे बहुत ही हैरानी से देख रहे थे कि ये पागल यहाँ क्या कर रही है,

बड़े-से-बड़े पंडित और ज्ञानी गणेशजी को नहीं मना पाये तो ये पागल क्या कर पायेगी। उसकी सास भी सोचने लगी कि उसकी बहू पागल हो गई है।

अब उसकी बहू ने वो ड़ंडा उठाया और गणेशजी की तरफ तान दिया। सब लोग आश्चर्यचकित होकर देख रहे थे। अरे ये क्या अनर्थ कर रही है?

बहू बोली रोज-रोज घी वाला गुड़ तो आप ही न खाते हो इसीलिए आपका मन बहुत बढ़ गया है। एक दिन मैने आपका घी वाला गुड़ खा लिया तो क्या हो गया? अब हाथ हटाकर सीधे होते हो के qनहीं या उठाऊ ड़ंडा।

ज्यो ही बहू ने ऐसा कहा गणेशजी तुरंत ही सीधे होकर qबैठ गए भगवान् उसके निश्छल प्रेम को देखकर प्रसन्न हो गए और उसे अपनी भक्ति का वरदान दिया। इधर राजा ने भी अपना वचन पूर्ण किया और उसे अपना आधा राज्य दे दिया। अब बहु और सास दोनो सुख पूर्वक रहने लगे।

प्रभु को किसका डर है वो तो खुद ही दूसरों के डर को दूर करते हैं लेकिन उन्होंने बहू के गुस्से में छुपे प्रेम को पहचान लिया और उससे वो प्रसन्न हो गए। प्रभु कब किस पे अपनी कृपा दृष्टी डाल दें ये कोई नहीं जानता इसलिए हमेशा प्रभुको याद रखना चाहिए चाहे वो सुख हो य़ा दुःख हो ।

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